प्रश्न: धोबी के कहने पर राम ने सीता का त्याग क्यों किया?
पदार्थ विज्ञान में सबके लिए नियम एक तरह से काम करते हैं। चेतना संबंधी प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग दिए जाते हैं। क्योंकि कोई भी एक उत्तर पूरी मनुष्य जाति को संतुष्ट नहीं कर सकता।
अधिकांश लोग अपने ही वातावरण से संस्कारित हैं। वे सत्य की तलाश में नहीं है बल्कि अपनी ही धारणाओं के संबंध में अकाट्य तर्क तलाश कर रहे हैं।
इस प्रश्न के उत्तर से ना राम का भला होना ना सीता का भला होने वाला है। इस प्रश्न से यहां उत्तर देने वालों और प्रतिक्रिया करने वालों के संस्कार दिखाई देने लगेंगे। इस प्रश्न का उत्तर दुनिया में लाखों बार लिखा गया होगा बोला गया होगा। हर एक ने उस उत्तर से अपनी मान्यताओं की पुष्टि की है।
एक उदाहरण से इस बात को समझिए शादी होकर एक भाभी जब घर जाती है तो घर में बैठी दो ननंद अगर तय कर लेती है कि हमें भाभी की इज्जत नहीं करनी है तो उनका पहला तर्क यह हो सकता है
अब तो तुम्हारा ही घर में राज है जितना जल्दी होगा तुम हमें शादी करके यहां से विदा करना चाहोगी
दूसरा तर्क यह होगा तुम हमारी शादी क्यों करना चाहोगी तुम्हें तो बैठे-बैठे दो नौकरानियां मिल गई है।
ऐसे पिता दुर्लभ ही होते हैं जो अपने बच्चों को जीवन की शिक्षा देने के लिए अपने ऐश्वर्य से दूर कर देते हैं और उनको वास्तविक धरातल पर संघर्ष करना सिखाना चाहते हैं।
राम जैसा चैतन्य पुरुष जो निर्णय लेकर जन्म लेने की क्षमता रखता है सीता जैसी उच्च चेतना संपन्न स्त्री जो अपहरण से पहले ही अग्नि प्रवेश कर जाती है उसके संबंध में ऐसे प्रश्न उठाना दुराग्रह से ज्यादा और कुछ नहीं है। भारत में इन दिनों दलितों का नेतृत्व छद्म लोगों के हाथ में है धन सत्ता के बल पर सनातन धर्म के ऐसे मुद्दे उभारे जा रहे हैं जिससे उनके निश्चित मंसूबे पूरे हो सके।