जीवन की समस्याओं की सटीक व्याख्या हो जाए, ठीक से विवरण लिखा जा सके, ऐसे अकाट्य तर्क सामने हों जिनका कोई तोड़ न हो तो सभी समस्याओं का समाधान 100% उपलब्ध है।
पितृकुल की रचना समझकर कोई भी व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं का समाधान पा सकता है।
आज के युग में सभी समझदार कहलाने वाले नागरिक खुद को आजाद कहलाने का दावा करते हैं परंतु एक आन्तरिक छटपटाहट के साथ बेबस जिंदगी जी रहे हैं।
आजादी का अर्थ उन्होंने एक गैर जिम्मेदारी ओढ़ ली है और नारा अपना लिया है "मस्त रहो मस्ती में चाहे आग लगे बस्ती में"।
इस कारण बस्ती ने भी जैसे उससे मुंह फेर लिया है और हर आदमी अपनी स्वतंत्रता के नाम पर पागल होने के कगार पर है।
इस भारी विपदा में समझदारी कहती है कि आपस में सहयोग का हाथ बढाएं और जीवन की छटपटाहट को कम करें। अपना जीना सहज करें।
थोड़ा सा प्रशिक्षण लेकर पितृकुल का विज्ञान समझा जा सकता है।
आप किसी और के जीवन में रुचि लेते हैं या नहीं लेते हैं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु अगर आप अपने जीवन को भी सुखमय करना चाहते हैं तो आप के कारण आपके आस पास सुख की तरंगे अपने आप फैलने लगेंगे।
हमें वॉलंटियर्स की आवश्यकता है जो सब के लिए नही अपने लिए ही आनन्द चाहता है, अपनी छटपटाहट कम करना चाहता है।
सुरेश कुमार शर्मा
99295 15246