आइए आपको बीमा उद्योग के जन्म की कहानी बताता हूं। जो बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग के रूप में आज आपके सामने है। बीमा उद्योग का समुद्री जहाजों के द्वारा किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार से बहुत गहरा संबंध है। व्यापारी जब माल लादकर एक देश से दूसरे देश में लेकर जाते थे तो रास्ते में समुद्री लुटेरे उनको लूट लेते थे। सुरक्षा और आक्रमण के नाम पर जान और माल की भारी क्षति होती थी। समुद्री डाकुओं के परिवार जन व्यापारी के जहाजों को सुरक्षित जाने देने के लिए फिरौती वसूल करने लगे थे। जो डाकू के परिवारों को फिरौती दे देता था उस व्यापारी के समुद्री जहाज सुरक्षित चले जाते थे। धीरे-धीरे व्यापारियों ने समुद्री लुटेरों से बचने के लिए यह फिरौती धरती पर ही डकैतों के परिवारों को देना शुरू कर दी। समुद्री डकैतों का यह धंधा धरती पर अनेक प्रकार के गुंडों को पसंद आया। जो व्यापारी इन गुंडों को फिरौती नहीं देते थे उनके गोदामों को आग लगा दी जाती थी। इस तरह से अग्नि बीमा उद्योग शुरू हो गया। छोटे व्यापारियों को कीमतों की मार नहीं पड़े इसलिए उन्हीं डकैतों ने बाजारों में मूल्यों का बीमा भी शुरू कर दिया। अगर पर्याप्त बीमा नहीं इकट्ठा होता है तो माल की भारी बिकवाली कर कर कीमतें गिरा दी जाती है। दुनिया भर का युद्ध उद्योग बीमा कंपनियों को जिंदा रखने के लिए चलता है। किसी एक क्षेत्र में युद्ध आगजनी और अपराधों का सिलसिला दुनिया के अनेक देशों में भय का वातावरण पैदा करता है और लोग अपनी भारी कमाई का हिस्सा डकैतों को बीमा के रूप में देने लगते हैं। आपकी जीवन बीमा पॉलिसी भी आपकी असुरक्षा के भय के कारण ली जाती है। टैक्स की मार भी डकैतों का एक तरीका है, ट्रांसपोर्ट का अनिवार्य बीमा भी सरकारों द्वारा प्रायोजित गुंडागर्दी है। भारत की शासन प्रणाली इस प्रकार की थी कि डकैतों और अपराधियों की संपत्तियां कुर्क करके जनसाधारण के लिए कानून व्यवस्था बनाई रखी जाती थी। पश्चिम की शासन प्रणाली आज इस प्रकार का काम करती है कि अपराधियों को सरकारों द्वारा संरक्षण प्राप्त रहता है और जनसाधारण भारी टैक्स चुकाते रहते हैं। लचर अदालत प्रणाली, प्रशासनिक ढांचा अपराधिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। इसलिए कोई भी सरकार जो अपराधियों द्वारा प्रायोजित है वह इस व्यवस्था को सुधारने नहीं देती। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसाधारण में भय और अपराध महिमामंडित करने का काम करता है जिससे अंतिम रूप से इस व्यवस्था के पोषकों को लाभ होता है ।