गाइडेंस और कॉंसलिंग में कैरियर बनाने के इच्छुक मित्रों को अंकों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव से भी परिचित होना चाहिए। इस विराट सृष्टि में गणित समस्त रचना का आधार है। इस चित्र में एक उदाहरण से गणित के विराट रहस्य की झलक पाई जा सकती है। लाल रेखा से जुड़ी संख्याओं में एक वलयाकार सम्बन्ध है। घड़ी की दिशा में या इसकी विपरीत दिशा में संख्याएं एक ही गुण धर्म निभा रही है। 1 से आरम्भ कर जाँच सकते हैं... 1से2,... 2से4, 4से8, 8से16 (16का मूलाँक 1+6=7), इसे तरह से 16से32 अर्थात5, 32से64 अर्थात1 (64=6+4=10=1+0=1), दो गुना करने का यह क्रम अनंत संख्याओं तक दोहराईये आप लाल वलय पर ही अपने को क्रमागत रूप से पाओगे। 1,2,4,8,7,5,1... विपरीत दिशा में चल कर देखें 1 से 0.5, 0.5 से 0.25 (मूलांक7), 0.25 से 0.125 (मूलांक8) अर्थात विपरीत दिशा में भी आप लाल वलय पर ही गति करेंगे। अब 3 और 6 का सम्बन्ध देखें (पीली रेखा का पेण्डुलम) – 3 का दो गुना 6, 6 का दो गुना 12 (मूलांक3) अनंत बार दो गुना करते जाएं पेण्डुलम की तरह ये दोनों छोर हर बार छुए जाएंगे। विपरीत दिशा में गति कर के देखें 3 का आधा 1.5 (मूलांक6), 1.5 का आधा 0.75 (मूलांक3) अर्थात अनंत बार दोहराने पर भी आप इस पेण्डुलम पर ही रहेंगे। अब 9 का आधा अथवा दो गुना करके देखे। आप इसे केवल 9 पर ही पाएंगे। प्रबन्ध शास्त्री अब इसे Control, Continuity और Repetition में आजमा कर किसी भी बड़े संगठन की सफलता के लिए मार्गदर्शन दे सकते हैं। जीवन की कोई शाखा नही है जिसमें इन संख्याओं का उपयोग करके अपना जीवन नही बदल सकें। अर्थात व्यक्तिगत जीवन में बदलाव, समस्याओं के समाधान आदि में अंकों की उपेक्षा नही की जा सकती।
सुरेश कुमार शर्मा 9929515246