Becoming A Reader...
बरसों की शोध प्रमाणित करती है कि सीखने में बच्चे के परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब परिवार बच्चे के साथ साथ अपने हित की जानकारी साथ साथ पढ़ता है तो बच्चे को अपना होमवर्क पूरा करने की प्रेरणा मिलती है, अगर परिवार बच्चे के शिक्षकों से भी बात करे, स्कूल के निमंत्रण पर उसके साथ स्कूल की गतिविधियों में भाग ले तो बच्चे को इससे असाधारण लाभ मिलता है। बच्चे के स्वास्थ्य और खुशी में परिवार अपनी भूमिका बखूबी निभाता है पर अगर बच्चे को परिवार द्वारा पढ़ने की आदत डालने में मदद मिल जाए तो जीवन में वह अपना मार्ग स्वयं चुन लेने और आगे बढ़ने में समर्थ हो जाएगा। देख कर सीखना बच्चे की आदत होती है। अच्छा हो कि परिवार में उसके सामने प्रतिदिन कोई ना कोई पुस्तक पढ़ने की आदत बनाए रखे। यह बच्चे की स्कूल के परिणाम में ही सहयोगी नही है बल्कि पढ़ने की आदत बच्चे को जीवन भर सफल और आनन्द से जीने के रास्ते ढ़ूँढने में मदद करेगी। बच्चे के पढ़ने की आदत बन गई तो समझो कि उनके हाथ दुनिया की वह चाबी हाथ लग गई है जिससे वह ज्ञान का कोई भी दरवाजा खोलने में समर्थ हो जाएगा। इस चाबी के बिना आज अधिकाँश बच्चे पिछड़ रहे हैं। हमारे देश में आवश्यकता इस बात की है कि बच्चे के विकास के कुछ मानक निर्धारित किये जाएं और उन मानकों के आधार पर बच्चों का मापन, परीक्षण, सुधार आदि हर स्तर पर किये जा सकने का मार्ग खुलना चाहिए। आज तो केवल विद्यालय, बोर्ड या विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र ही मानक बन कर रह गये हैं जो किसी भी दृष्टि से देश के मानव संसाधन के सही आकलन का आधार नही हो सकते। इसके लिए सबसे बड़ी जरूरत है कि शिक्षकों की एक ऐसी नस्ल तैयार हो जो बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करे। इस कुशलता का विकास विद्यालयों में बचपन में ही किया जाना चाहिए। अलग से ऐसे रिसोर्स पर्सन तैयार किये जाने चाहिए जो शिक्षकों को ये सिखाए कि बच्चे में पढ़ने की क्षमता का विकास कैसे किया जाना चाहिए। परिवार में एक आदत बनानी चाहिए कि बच्चे के स्कूल जाना आरम्भ करने से पहले ही वह उसके बोलने का सम्मान करे। बच्चे को अपनी बात विस्तार से बताने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। परिवार के बड़ों को चाहिए कि वह बच्चे के बोलने को ध्यान से सुने, उसके कहने के प्रयास का सम्मान करें। मह्त्वपूर्ण यह नही है कि वह अपनी बात कितने सही ढ़ंग से कह रहा है, महत्वपूर्ण ये है कि वह अपनी बात कितनी बेहतर ढ़ंग से कहने का प्रयास कर रहा है। परिवार को धैर्य पूर्वक उसे सुन कर तर्कपूर्ण ढ़ंग से बात कहना सीखने में मदद करनी चाहिए।
सुरेश कुमार शर्मा 9929515246
बरसों की शोध प्रमाणित करती है कि सीखने में बच्चे के परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब परिवार बच्चे के साथ साथ अपने हित की जानकारी साथ साथ पढ़ता है तो बच्चे को अपना होमवर्क पूरा करने की प्रेरणा मिलती है, अगर परिवार बच्चे के शिक्षकों से भी बात करे, स्कूल के निमंत्रण पर उसके साथ स्कूल की गतिविधियों में भाग ले तो बच्चे को इससे असाधारण लाभ मिलता है। बच्चे के स्वास्थ्य और खुशी में परिवार अपनी भूमिका बखूबी निभाता है पर अगर बच्चे को परिवार द्वारा पढ़ने की आदत डालने में मदद मिल जाए तो जीवन में वह अपना मार्ग स्वयं चुन लेने और आगे बढ़ने में समर्थ हो जाएगा। देख कर सीखना बच्चे की आदत होती है। अच्छा हो कि परिवार में उसके सामने प्रतिदिन कोई ना कोई पुस्तक पढ़ने की आदत बनाए रखे। यह बच्चे की स्कूल के परिणाम में ही सहयोगी नही है बल्कि पढ़ने की आदत बच्चे को जीवन भर सफल और आनन्द से जीने के रास्ते ढ़ूँढने में मदद करेगी। बच्चे के पढ़ने की आदत बन गई तो समझो कि उनके हाथ दुनिया की वह चाबी हाथ लग गई है जिससे वह ज्ञान का कोई भी दरवाजा खोलने में समर्थ हो जाएगा। इस चाबी के बिना आज अधिकाँश बच्चे पिछड़ रहे हैं। हमारे देश में आवश्यकता इस बात की है कि बच्चे के विकास के कुछ मानक निर्धारित किये जाएं और उन मानकों के आधार पर बच्चों का मापन, परीक्षण, सुधार आदि हर स्तर पर किये जा सकने का मार्ग खुलना चाहिए। आज तो केवल विद्यालय, बोर्ड या विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र ही मानक बन कर रह गये हैं जो किसी भी दृष्टि से देश के मानव संसाधन के सही आकलन का आधार नही हो सकते। इसके लिए सबसे बड़ी जरूरत है कि शिक्षकों की एक ऐसी नस्ल तैयार हो जो बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करे। इस कुशलता का विकास विद्यालयों में बचपन में ही किया जाना चाहिए। अलग से ऐसे रिसोर्स पर्सन तैयार किये जाने चाहिए जो शिक्षकों को ये सिखाए कि बच्चे में पढ़ने की क्षमता का विकास कैसे किया जाना चाहिए। परिवार में एक आदत बनानी चाहिए कि बच्चे के स्कूल जाना आरम्भ करने से पहले ही वह उसके बोलने का सम्मान करे। बच्चे को अपनी बात विस्तार से बताने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। परिवार के बड़ों को चाहिए कि वह बच्चे के बोलने को ध्यान से सुने, उसके कहने के प्रयास का सम्मान करें। मह्त्वपूर्ण यह नही है कि वह अपनी बात कितने सही ढ़ंग से कह रहा है, महत्वपूर्ण ये है कि वह अपनी बात कितनी बेहतर ढ़ंग से कहने का प्रयास कर रहा है। परिवार को धैर्य पूर्वक उसे सुन कर तर्कपूर्ण ढ़ंग से बात कहना सीखने में मदद करनी चाहिए।
सुरेश कुमार शर्मा 9929515246