गरीबी रेखा का निर्धारण अनेक मनघड़ंत आँकडों के आधार पर किया जाता है और नतीजे हास्यास्पद होते हैं। लगता है जैसे किसी ऐसे राज में जी रहे हैं जो कहानियों में सुनते थे... "अन्धेर नगरी चोपट राजा, टके सेर भाजी और टके सेर खाजा" क्यों ना इस बार राजनैतिक दलों को अपने मैनीफेस्टो में इसके लिए एक नई परिभाषा डालने के लिए बाध्य किया जाए... मेरा सुझाव इस प्रकार है... किसी भी राज्य अथवा केन्द्र शासित प्रदेश के राजक...ीय कर्मचारी के न्यूनतम वेतनमान का स्तर उस राज्य अथवा केन्द्र शासित प्रदेश की गरीबी रेखा निर्धारित किया जाना चाहिए। प्रति वर्ष नये पे स्केल पर कर्मचारियों की नियुक्ति होती है, आमतौर पर जिन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कहा जाता है उसको देय आरम्भिक वेतनमान गरीबी रेखा होने के बारे में आपकी क्या राय है? अगर पाठक इस बात से सहमत हों तो इसे अपनी वाल पर शेयर कर आगे फॉर्वार्ड करें और विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने वाले सदस्यों के पब्लिक प्रोफाइल पर पेस्ट करें। लिखित आवेदन करें तो यह एक जन जागरण का उपयोगी कार्य हो सकता है ....