भारत में व्यावसायिक स्वामित्व के प्रारूप में इन दिनों भारी बदलाव आए हैं। लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) और वन परसन कम्पनी (ऑपीसी) व्यवसाय में स्वामित्व के भारत में नये स्वरूप हैं। अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढाँचे में आए बदलाव का ये नतीजा है। शिक्षण संस्थानों में उत्पन्न ढाँचागत दोषों के कारण शिक्षा जैसे सम्वेदनशील काम में लगने के इच्छुक नागरिक चाह कर भी अपनी इच्छा पूरी नही कर पाते। ऐसे में एलएलपी और ओपीसी की तर्ज पर टीम वर्क अथवा अकेले शिक्षा क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए सरकारी नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता है जिससे कि वे समाज को उपयुक्त सेवाएं देकर सामाजिक बदलाव में सहयोगी की भूमिका निभा सकें, अपनी रुचि का काम करने के लिए आगे आएं और एंटरप्रेन्योरशिप का प्रदर्शन कर सकें। विद्यालयों में उपलब्ध भौतिक संसाधनों और उनकी उपयोगिता की वास्तविकता से सब भली भाँति परिचित है। इन विशाल परिसम्पतियों की आवश्यकता की आड़ में अब शिक्षा के वर्तमान ढाँचे को बनाए रखना समाज द्वारा अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा। एक व्यक्ति को अथवा व्यक्तियों के समुह को एलएलपी या ओपीसी की तर्ज पर पूर्ण विद्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए। संसाधनों की शर्त रखने के बजाय केवल मुल्याँकन परिषदों का गठन कर इच्छुक विद्यार्थियों के प्रमाणीकरण का काम करने का मार्ग खोलना चाहिए।