Marketing v/s Education...

Marketing of education is suicidal to market and Education of marketing is suicidal to education. Education liberate while market enslave. Motto of Education - सा विद्या या विमुक्तये and Market - Never provide permanent or long term solution to your customer for maximization of profit....


"Never provide a permanent or long term solution to your customer for maximization of profit. अपने लाभ अधिकतम करने के लिए ग्राहक को कभी भी स्थाई और दीर्घकालीन समाधान मत दो।" औद्योगिक संघों की इस विश्वव्यापी नीति का शिकार हमारा जीवन दुनिया भर की सरकारों द्वारा स्वीकार्य है। जब बाजार के इस दर्शन को सरकारें सुरक्षा करती है तो उन सरकारों के मुँह से इंक्लुसिव ग्रोथ की बात सुनना अजीब सा लगता है। समझ नही आता कि कैसे ये सरकारें पर्यावरण नीति सामुहिक हित के लिए बना सकती है? कैसे इनका शिक्षा और स्वास्थ्य दर्शन जन हित का हो सकता है? न्याय और व्यवस्था का आडम्बर तो कभी खत्म ही नही हो सकता।...

शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग कर रहे भामाशाहों से मेरा सवाल है ... गौ भक्त द्वारा गौशाला में चारे के लिए भेजे पैसे से अगर चारा ना खरीदा जाए... माफिया की तरह जमीन खरीदने में चारा का पैसा फूँक दिया जाए या गौशाला की दीवारें सोने की बना दी जाए तो क्या गौभक्ति पूरी हो जाएगी? अन्दर गौपालन के स्थान पर कसाई चाहे गौ कत्ल में लगा हो?
 आप खुश हो जाओगे? नही तो ... जरा शिक्षा के बारे में भी सोचो... जिस तरह उत्तम गाय के बिना या गायों के उत्तम रख रखाव के बिना गौशाला अधूरी है उसी प्रकार उत्तम शिक्षक और शिक्षक के उत्त्म रख रखाव के बिना विद्यालय भी अधूरे हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस ( चारे का पैसा ) देने वाले अभिभावक भी जरा विचार करें।...


कॉलेजों में इस तरह की कार्य संस्कृति का विकास करना होगा कि वहाँ से निकला स्नातक रोजगार माँगे नही बल्कि कुछ लोगों को रोजगार दे सकने में सक्षम हो जाए। उच्च माध्यमिक विद्यालयों में इस प्रकार की कार्य संस्कृति का विकास करना होगा कि किशोर अपने बुत्ते उच्च शिक्षा के लिए धन अर्जित कर सके। इस आधारभूत शिक्षा व्यवस्था की स्थापना के लिए जो विरोध और बदलाव करने पड़ें करने चाहिए। इसके लिए प्रतिरोध को अराजकता कहा जाए तो ये अराजकता शुभ है।...


जिस देश में शिक्षक का एंडोर्समेण्ट होने लग जाएगा, शिक्षक स्पोंसर्ड लाइफ जीने लग जाएगा वह देश विश्व गुरु बन जाएगा। विश्व गुरू होना भारत की बपोती नही रह गई है। जो विश्वगुरू होगा वही भारत है। इस देश में अब क्रिकेटर, सिनेमा स्टार, नर्तक और गायक एंडोर्समेंट प्राथमिक आधार पर हो रहे हों तो इसके विश्वगुरू रहने के आसार कितने है?...