Role of Collective consciousness in destiny of life on the planet earth.
समुह चेतना धरती के भाग्य का कैसे निर्माण करती है इसका परीक्षण भी किया गया है। जैसा कि अभी हाल ही की खोजों से स्पष्ट हुआ है कि पानी का क्रिस्टलाइजेशन एक रूप का नही होता वह अपना पैटर्न बदलता रहता है। इस पैटर्न के बदलाव के लिए हमारे विचार भी जिम्मेदार है। जब छोटे स्तर पर यह बात जाँच परख ली गई तो फिर ध्रूवीय प्रदेशों के बर्फ के क्रिस्टलाइजेशन का भी इतिहास टटोला गया और हैरान कर देने वाले नतीजे प्राप्त हो रहे हैं। बर्फ के वहाँ के क्रिस्टलाइजेशन के पैटर्न मानव जाति और अन्यान्य जीव जगत के भावलोक की रचना के साथ ही वहाँ की रचना में सुसंगति पाई गई है। कोई बड़ी बात नही है कि अगर हॉलीवुड मूवी में दिखाए गए अमेरिका के अंत, दुनिया के अंत आदि के सीन वास्तव में भी देखने को मिलने लग जाएं। हमारे संकल्प से ही हमारी सृष्टि का निर्माण हुआ है इस का भविष्य भी हमारे संकल्प से निर्धारित होना है। डबल स्प्लिट एक्सपेरिमेण्ट में इलेक्ट्रोन का व्यवहार तरंग का होगा या कण का होगा ये भी हमारे संकल्प का ही परिणाम होता है। क्वांटम भौतिकि की नई खोजें समूचे विज्ञान को एक नए आयाम में ले कर जा रही है। डॉ. विल्हेम रिक ने जर्मनी में जो ऑर्गन एनर्जी पर खोज की ठीक वह अध्याय भी अब आगे बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। पीनियल ग्लैण्ड से सम्बन्धित खोजों में जिनकी रुचि है वे जी जान से जुटे हैं पैरलल फ्यूचर में से किसी अपने एक मन पसन्द ग्रिड में प्रवेश कर जाने का रास्ता खोजने के लिए। सन 2012 के बाद धरती की समुह चेतना में जो बदलाव आया है वह बहुत सुखद है। पूँजीवाद की पकड़ धरती पर ढ़ीली पड़ने को है। समृद्धि के नये शिखर पा लिए गए हैं। करैंंसी की दौड़ में अन्धों की तरह से जुटे लोग अब खुद को अकेला पाएंगे ये निश्चित है। समझदार लोगों ने ये दौड़ छोड़ दी है। भारत के मनीषी लोग भी इस क्षेत्र में जुटे ही होंगे बस तकनीक से इनका सम्पर्क नही है इसलिए समाचार कम ही जानने सुनने को मिलते हैं। राजनीति की तरफ देखें तो सुखद स्ंकेत मिल रहे हैं। कोई सत्ता में है या सत्ता से बाहर सब को अपनी सोच पर शर्म आने लगी है। आशा करनी चाहिए कि इक्कीसवीं सदी एक नई सुबह ले कर आ रही है। भारत का प्रशासनिक और राजनैतिक ढाँचा थोड़ी समझदारी दिखाए तो देश दुनिया के शिखर पर उभरता हुआ हो सकता है। बस जी समुद्र में जैसे सन्देश बोतल में डाल कर फैंक दिया जाता है उसी तरह से अपने वीरान टापू से ये बोतल फैंक रहा हूँ... किसी को मिल जाए तो पढ़ने का आनन्द लेना। बस इतना ही...
सुरेश कुमार शर्मा 9929515246
समुह चेतना धरती के भाग्य का कैसे निर्माण करती है इसका परीक्षण भी किया गया है। जैसा कि अभी हाल ही की खोजों से स्पष्ट हुआ है कि पानी का क्रिस्टलाइजेशन एक रूप का नही होता वह अपना पैटर्न बदलता रहता है। इस पैटर्न के बदलाव के लिए हमारे विचार भी जिम्मेदार है। जब छोटे स्तर पर यह बात जाँच परख ली गई तो फिर ध्रूवीय प्रदेशों के बर्फ के क्रिस्टलाइजेशन का भी इतिहास टटोला गया और हैरान कर देने वाले नतीजे प्राप्त हो रहे हैं। बर्फ के वहाँ के क्रिस्टलाइजेशन के पैटर्न मानव जाति और अन्यान्य जीव जगत के भावलोक की रचना के साथ ही वहाँ की रचना में सुसंगति पाई गई है। कोई बड़ी बात नही है कि अगर हॉलीवुड मूवी में दिखाए गए अमेरिका के अंत, दुनिया के अंत आदि के सीन वास्तव में भी देखने को मिलने लग जाएं। हमारे संकल्प से ही हमारी सृष्टि का निर्माण हुआ है इस का भविष्य भी हमारे संकल्प से निर्धारित होना है। डबल स्प्लिट एक्सपेरिमेण्ट में इलेक्ट्रोन का व्यवहार तरंग का होगा या कण का होगा ये भी हमारे संकल्प का ही परिणाम होता है। क्वांटम भौतिकि की नई खोजें समूचे विज्ञान को एक नए आयाम में ले कर जा रही है। डॉ. विल्हेम रिक ने जर्मनी में जो ऑर्गन एनर्जी पर खोज की ठीक वह अध्याय भी अब आगे बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। पीनियल ग्लैण्ड से सम्बन्धित खोजों में जिनकी रुचि है वे जी जान से जुटे हैं पैरलल फ्यूचर में से किसी अपने एक मन पसन्द ग्रिड में प्रवेश कर जाने का रास्ता खोजने के लिए। सन 2012 के बाद धरती की समुह चेतना में जो बदलाव आया है वह बहुत सुखद है। पूँजीवाद की पकड़ धरती पर ढ़ीली पड़ने को है। समृद्धि के नये शिखर पा लिए गए हैं। करैंंसी की दौड़ में अन्धों की तरह से जुटे लोग अब खुद को अकेला पाएंगे ये निश्चित है। समझदार लोगों ने ये दौड़ छोड़ दी है। भारत के मनीषी लोग भी इस क्षेत्र में जुटे ही होंगे बस तकनीक से इनका सम्पर्क नही है इसलिए समाचार कम ही जानने सुनने को मिलते हैं। राजनीति की तरफ देखें तो सुखद स्ंकेत मिल रहे हैं। कोई सत्ता में है या सत्ता से बाहर सब को अपनी सोच पर शर्म आने लगी है। आशा करनी चाहिए कि इक्कीसवीं सदी एक नई सुबह ले कर आ रही है। भारत का प्रशासनिक और राजनैतिक ढाँचा थोड़ी समझदारी दिखाए तो देश दुनिया के शिखर पर उभरता हुआ हो सकता है। बस जी समुद्र में जैसे सन्देश बोतल में डाल कर फैंक दिया जाता है उसी तरह से अपने वीरान टापू से ये बोतल फैंक रहा हूँ... किसी को मिल जाए तो पढ़ने का आनन्द लेना। बस इतना ही...
सुरेश कुमार शर्मा 9929515246