Education?

 एक लोचशील और ऐसी शिक्षा प्रणाली की जरूरत है जो व्यक्ति की निहित क्षमताओंं को उभारने में सहयोगी हो। इससे युवक न केवल अपनी क्षमताओं का समाज में योगदान करें बल्कि सहयोग भी कर सके। निजि और टीम के रूप में उसकी उपयोगिता पर विचार करते हुए ही मुल्यांकन प्रणाली का विकास करना होगा। औद्योगिक युग में युवक को पहले से ज्ञात होता था कि वह किस प्रकार का स्किल सीख कर किस इंडस्ट्री में समायोजित हो जाएगा।

स्किल डवलपमेण्ट के नाम पर सरकार जो कर रही है क्या उसमें बदली परिस्थिति के अनुसार नये स्किल सीखने सिखाने के रास्तों पर विचार किया जाएगा?

समाज में तीव्रगति से निरंतर होने वाले बदलावों के लिए जो स्किल चाहिए क्या वे हमारे नीति निर्माताओं के लिए विचारणीय विषय है?

बदलाव ही वह लक्ष्य है जिसके लिए युवा को स्किल देना होगा। अर्थव्यवस्था में, समाज में निरंतर बदलाव हो रहा है। इस निरंतर बदलाव के अनुकूल जो स्किल सेट चाहिए वह आउट ऑफ डेट नही हो सकता।

रचनात्मकता, निरंतर स्वरूप बदलती समस्याओं का समाधान कर सकने की क्षमता का विकास, सहयोग पाने और देने की तत्परता, सामुहिक हितों के प्रति सजगता, अंतर्राष्ट्रीय सन्दर्भ, सांस्कृतिक समझ, भावात्मक लचीलापन, सीखते रहने की ललक, उद्यमिता ये कुछ स्किल सेट है जिनके बिना युवक अधूरा ही रहेगा। सरकार क्या इन सब के लिए कुछ कर रही है?

सीखने और समयानुकूल तत्काल बदलने की भावना का विकास व्यापक मीडिया सहयोग के बिना सम्भव नही है।

क्या हमारे पास वह मैन पावर है जो इन जरूरतों को पूरा कर सके? क्या प्रशासन इतना लचीला है कि वह प्रमाणपत्रों की दिखाई योग्यता से बाहर जाकर भी उपयुक्त मानव संसाधन को इस कार्य के लिए सहयोगी बना सके?