What actually we do...?





 वैकल्पिक  एवं पूरक  चिकित्सा  पद्धतियों का दैनिक जीवन में प्रचलन  बढता जा रहा है । इन पद्धतियों से प्राप्त परिणाम और इनके निरंतर विस्तार से इनकी  आवश्यकता को समझा जा सकता हैं। स्वयं के स्वास्थ्य  लाभ और  स्वास्थ्य के  क्षेत्र में सेवाएं देने  के इच्छुकों  को पदार्थ और  चेतना के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में आधूनिक जानकारियों  एवं अध्यात्म  पर आधारित  मान्याताओं  का  प्रारम्भिक  ज्ञान हो तो व्यक्ति  और समाज को असीम लाभ मिल सकता है। जीवन के सम्बन्ध  में  पदार्थवादी  मान्यता और आत्मवादी मान्यता से  हमारे  स्वास्थ्य का  गहरा सम्बन्ध  है। प्राण  चिकित्सा और  आस्था चिकित्सा, वैकल्पिक और पूरक चिकित्सा पद्धतियों का आधार है। प्राण  चिकित्सा और आस्था  चिकित्सा के  पक्ष विपक्ष में सही  जानकारी  जुटाकर ही  अपनी राय कायम  करना बुद्धिमानी  होगी। यह  संस्थान  वर्षों से इन विषयों में  अनुसन्धान कर  रहा है । जनसधारण को इस  विषय में अपनी  जिज्ञासा का पत्राचार और व्यक्तिगत  सम्पर्क से  अनेक प्रकार का समाधान  मिलता रहता है। 
 यह  संस्थान विभिन्न मनोशारीरिक रोगों के उपचार हेतु सामूहिक  आध्यात्मिक  चिकित्सा प्रयोग नियमित रूप से संचालित करता  है और वैज्ञानिक विधियों से परिणामों का परीक्षण करता है। अनेक  अवस्थाओं में  रोगी को  स्वास्थ्य लाभ के लिए  स्वय़ं उपस्थित होना आवश्यक नही है। संस्थान  प्राण चिकित्सा और आस्था चिकित्सा की  अपनी सेवाएं  समाज के हर वर्ग को बिना किसी भेद भाव  के उपलब्ध  कराता है । रोगी की  आवश्यकता के अनुसार आवश्यक उपचार  कराते रहते  समय भी इस  सेवा का लाभ  लिया जा सकता है। पूरक चिकित्सा के लिए रोगी का नाम, पता, रोग का विवरण, आयु  और सम्भव हो  तो चित्र  प्रेषित कर दें। शारीरिक स्वास्थ्य का  हमारे सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक और वैवाहिक जीवन की विभिन्न  समस्याओं से प्रत्यक्ष  सम्बन्ध है ।  इस तरह की समस्याओं के  समाधान के लिए भी उपरोक्त  रीति ही  अपनायी जाती है । मात्र रोग के विवरण के  स्थान पर  समस्या का  विवरण लिख दिया जाता है।
    तनाव, एकाग्रता में कमी, आत्मविश्वास में कमी, उत्साह की कमी, पारस्परिक  सम्बन्धों  में कटुता, असमय बुढापा, चिंता, रोग प्रतिरोधक शक्ति में  कमी, नकारत्मक  दृष्टिकोण, धन  की तंगी, कर्जा, डूबत ऋण आदि  समस्याओं से  आस्था चिकित्सा से  छुटकारा पाया  जा सकता है। जीवन में अनिंद्रा, अवसाद, दर्द, सरदर्द, कमरदर्द, नजरदोष, वैवाहिक समस्याएं, डर, भूलने की आदत, चर्मरोग, जैसी  समस्याएं  प्राणसाधनाओं  की कमी के कारण  उत्पन्न होती है। निर्बल प्राण के व्यक्ति इन  समस्याओं के  जल्दी शिकार  हो जाते हैं।  
    जीवन  प्रशिक्षण  एवं स्वास्थय  परामर्श के क्षेत्र  में युवा वर्ग  की रूचि जाग्रत हो  इसलिए जीविका  उपार्जन हेतु  आवश्यक मार्गदर्शन  भी दिया जाता है । वैकल्पिक  एवं पूरक  चिकित्सा के  क्षेत्र में  स्वयं सेवक के  रूप में कार्य  करने के इच्छुक  व्यक्ति प्रशिक्षण  प्राप्त करने  हेतु आवेदन  मंगा सकते हैं । प्रायः  यह प्रशिक्षण  ऐसे मित्र लेते  हैं जो स्वयं  इस विधा से  किसी न किसी रोग अथवा  समस्या से  छुटकारा पाते हैं । ऐच्छिक  सहयोग की बात अलग है, वैसे  रोगोपचार, समस्या  निवारण और  प्रशिक्षण  हेतु किसी भी प्रकार का शुल्क नही  लिया जाता है।
      पत्राचार  के लिए स्वयं  का पता लिखा  हुआ लिफाफा  साथ भेजें । व्यक्तिगत  परामर्श के  लिये पूर्व  सूचना देकर  समय  निर्धारित कर  लेना उपयुक्त  रहता है।
वीणा शर्मा
सचिव