बच्चों को मोबाइल और नेट की दुनिया से बाहर निकालो। माता पिता आगे आएं

👉इस पृथ्वी नाम की चट्टान की सतह से तुम चिपके हुई विश्राम कर रहे हो।
👉चेतना के विराट सागर में इस पृथ्वी की गति एक लाख दस हजार किमी/घण्टा है।
👉इस चट्टान पर विश्राम के समय तुम्हे एक स्पेस सूट दिया गया है जिसे देह कहते है।
👉 जब प्राण एक क्षमता तक सक्रीय हो जाए तो तुम संकल्प मात्र से स्पेससूट त्याग कर बाहर निकल सकते हो।
👉जड़त्व और गुरुत्वाकर्षण की पढ़ाई ने हमें भारहीनता का अनुभव भुला दिया।
👉 दरअसल खड़ा होकर हाथ ऊपर करना थकाने वाला होना ही न चाहिए।
👉यह तो भयानक 😀 होना चाहिए जैसे तीव्र उड़ते विमान का गेट खोल कर तुम्हे खड़ा कर दिया जाए।
👉छलांग लगाने की कल्पना मात्र तुम्हे डरा दे।
👉देह का दर्द भय या रोमांच में रूपांतरित होना चाहिए अभ्यास के प्रभाव से।
👉जैसे तीव्र गति से चलते किसी विमान से बाहर छिटकने का रोमांच हो।
👉 दरअसल धरती से आप जो आहार ग्रहण करते हैं हवा पानी और भोजन यह आहार आपकी देह अर्थात स्पेस सूट के लिए है।
👉 इस स्पेस सूट को जिसने धारण किया हुआ है उस धारक का आहार कहां है? वह कैसे पुष्ट होगा?
👉 इस दिशा में आप विचार करें और किसी सहयोग की आवश्यकता हो तो,...
☺एक माह के हमारे सुझाए अभ्यास से आप जीवन में असाधारण बदलाव पाएंगे।
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सुरेश कुमार शर्मा
09929515246